प्रधानाचार्य की कलम से
शिक्षक समाज के शीर्ष बिन्दु पर आसीन है और समाज के प्रति उनका दायित्व सबसे अघिक है
और समाज की अपेक्षाएं भी शिक्षक से बहुत अधिक है। एक हत्यारा दस-बीस हज़ार हत्याएं कर
सकता है किन्तु यदि शिक्षक अपने मार्ग से विचलित होता है तो पूरे समाज ही हत्या कर
देता है ऐसे में जबकि आज समाज संक्रमण काल से गुजर रहा है। विकास की धारा में प्राचीन
मान्यताएं एवं परम्पराएं बह गयी हैं और नवीन मान्यताओं ने पश्चिम का अन्धानुकरण किया
है शिक्षकों का दायित्व और बढ जाता है किन्तु मेरा मानना है कि यदि आपकी थैली में पर्याप्त
धन है तब तो आप किसी को दान दे सकते है किन्तु यदि आप स्वयं आकाल में है तो आपसे दान
की अपेक्षा ही निरर्थक है। मैं आवाहन करती हूँ कि अपनी थैली में चरित्र बल का अथाह
संग्रह करें जिससे नई पीढी को चरित्र का सन्देश दे सकें और शिक्षक का चरित्र बालक के
मन-मस्तिष्क को बडी सादगी से प्रभावित करता है और जाने अंजाने ही शिक्षक का अनुकरण
करने लगता है अर्थात शिक्षक को अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता
होती है।
हमारे बी. एड. विभाग के प्रवक्तागण सचमुच अनुकरणीय हैं और उनके कठोर परिश्रम एवं अध्यावसाय
का परिणाम था कि एक वर्ष में ही महाविघालय ने बी. एड. कालेजों में अपना विशेष स्थान
बना लिया और चारों ओर से सफलता एवं प्रशंसा के स्वर सुनाई देने लगे इसके लिए मैं उन्हें
और अपनी छात्राध्यापिकाओं को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देती हूँ।
गत् वर्ष सांस्कृति परिषद ने श्रीमती श्रीयम पाण्डेय त्रिपाठी के नेतृत्व में अति उत्कृष्ठ
प्रदर्शन किया है और मैं विश्वास रखती हूँ कि वर्तमान सत्र में सांस्कृति परिषद उससे
भी आगे बढ-चढ कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सम्पन्न करेगा। सम्पूर्ण वर्ष में
5 सेमिनार और इलाहाबाद विन्ध्याचल के छोटे शैक्षिक भ्रमण एवं अहमदाबाद पोरबंदर एवं
द्वारिका के बृहत शैक्षिक भ्रमण ने बी. एड. विभाग की उपलब्धि को द्विगुणित कर दिया
है। राष्ट्रपिता बापू के जन्म स्थली का प्रथम भ्रमण करके महाविघालय की संस्थापना के
उददेश्य- शिक्षा का उददेश्य राष्ट्रीय चरित्र निर्माण हो के प्रति प्रतिबद्धता
व्यक्त की गई है। हमारा बी. एड. विभाग वर्तमान सत्र में विश्वविघालय में प्रथम स्थान
प्राप्त करे और वर्तमान सत्र उससे अधिक अंक प्राप्त कर अपने ही रिकार्ड को तोडे यही
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है और मैं अपने दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वाहन कर सकूँ
ईश्वर इसके लिए मुझे शक्ति दे।
डॉ. श्रीमती नीलिमा श्रीवास्तव
प्राचार्या
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